बुधवार, 23 अप्रैल 2008

बोतलबंद पानी सेहत का दुश्मन नंबर वन

मुकेश कुमार
लोग प्यास बुझाने के लिए प्लास्टिक की सिलिंडरनुमा बोतल में भरा पानी खरीदते हैं लेकिन अमेरिकी पर्यावरणविदों की मानें तो बोतलबंद पानी सेहत का नया दुश्मन नंबर वन है। अमेरिका में बोतलबंद पानी की बिक्री में हर साल दस फीसदी का इजाफा हो रहा है और इसकी मांग भी दिनों दिन बढ़ रही है। लेकिन गर्मियों की शुरूआत के बाद अमेरिकी इस बार नलों के पानी की खोज करते नजर आए।न्यूयार्क टाइम्स ने इस माह के शुरू में अपने एक संपादकीय में लिखा है, यह वह देश है जहां पूरी दुनिया में सर्वोत्तम सार्वजनिक जलापूर्ति होती है। देश में सालाना 15 अरब लीटर पानी की खपत बोतलों के जरिए करने के बजाय हमें यह सोचना चाहिए कि इन बोतलों से सेहत पर कितना दुष्प्रभाव पड़ता है। सोमवार को स्टाकाहोम में ‘विश्व जल सप्ताह’ में कहा गया कि अमेरिका में एक दिन में पर कैपिटा 400 लीटर जल की खपत होती है जबकि विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति खपत का आंकड़ा 10 लीटर है।अमेरिका में बोतलबंद पानी की खपत दिनों दिन बढ़ रही है। बीवरेज मार्केटिंग कारपोरेशन के अनुसार पिछले साल बोतलबंद पानी की बिक्री में 9 .7 फीसदी वृद्धि हुई जिसके बाद यहां पानी का कुल बाजार 11 अरब डॉलर का हो गया है। अमेरिका में बोतलबंद पानी का मतलब मिनरल वाटर नहीं होता। जुलाई माह में शीतलपेय दिग्गज पेप्सीको कंपनी को जन दबाव के कारण यह बताने के लिए बाध्य होना पड़ा कि इसके एक्वाफिना बोतलबंद पानी की बोतल में नल का पानी है।‘थिंक आउटसाइड द बाटल’ अभियान की निदेशक जिजी केलेट ने कहा, पेप्सी का जवाब एक महत्वपूर्ण कदम है। जिजी ने कहा, बोतलबंद पानी के उघोग को लेकर चिंता और पानी पर कारपोरेट नियंत्रण में इजाफा हो रहा है। पानी किसी भी स्रोत से मिले बोतल में बंद होने के बाद वह महंगा हो जाता है। न्यूयार्क टाइम्स के आकलन के अनुसार कुछ उपभोक्ताओं का बिल 1400 डॉलर सालाना तक हो सकता है।
http://kaalchakraa.blogspot.com/2007/08/blog-post_16.html

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